आरबीआई अधिशेष

पाठ्यक्रम:                               

GS3: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय।   

संदर्भ: 

वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने सरकार को ₹2.69 लाख करोड़ का रिकॉर्ड अधिशेष हस्तांतरित करने का निर्णय लिया है। यह एक रिकॉर्ड उच्च हस्तांतरण है, जो वित्त वर्ष 2023-24 में हस्तांतरित ₹2.11 लाख करोड़ से 27% अधिक है।    

आरबीआई अधिशेष क्या है? 

आरबीआई की आयआरबीआई का व्यय
·      केंद्र सरकार, राज्य सरकारों और वाणिज्यिक बैंकों को ब्याज पर दिए गये ऋण से प्राप्त आय ·      रुपये-मूल्यवर्गित सरकारी बांड या प्रतिभूतियों को धारण करने से अर्जित आय·      राज्य सरकारों और केंद्र सरकार के उधारों को संभालने के लिए प्रबंधन कमीशन से प्राप्त आय·      विदेशी मुद्रा परिचालन जहां केंद्रीय बैंक घरेलू मुद्रा को स्थिर करने के लिए विदेशी मुद्राओं को खरीदता और बेचता है।   ·      विदेशी मुद्रा भंडार पर रिटर्न। अर्थात दूसरे देशों के बॉन्ड में निवेश करता है।  ·      मुद्रा जारी करने की प्रक्रिया द्वारा जिसे सिग्नोरेज कहा जाता है। (किसी मुद्रा के अंकित मूल्य और उस मुद्रा के उत्पादन में लगी लागत के बीच का अंतर)।·      करेंसी नोटों की छपाई से संबंधित लागत·      कर्मचारियों के लिए वेतन और लाभ·      सरकारी लेनदेन को संभालने और सार्वजनिक ऋण की गारंटी देने के लिए बैंकों को दिया जाने वाला कमीशन।·      आरबीआई के खर्च का एक बड़ा हिस्सा जोखिम प्रावधानों, मुख्य रूप से आकस्मिकता निधि (CF) और परिसंपत्ति विकास निधि (ADF) में जाता है।·      आकस्मिकता निधि (CF) परिसंपत्ति मूल्यह्रास जैसे अप्रत्याशित जोखिमों को कवर करता है, जबकि परिसंपत्ति विकास निधि (ADF) सहायक कंपनियों में निवेश और आंतरिक पूंजी आवश्यकताओं को वित्तपोषित करता है।     

रिकॉर्ड अधिशेष के पीछे प्रमुख कारक

विदेशी मुद्रा लाभ: विदेशी मुद्रा लेनदेन से आरबीआई की आय पिछले वर्ष के 836.16 बिलियन रुपये से बढ़कर 1.11 ट्रिलियन रुपये हो गई। यह वृद्धि रुपये को स्थिर करने के उद्देश्य से की गई पर्याप्त डॉलर बिक्री से प्रेरित थी।

विदेशी परिसंपत्तियों से ब्याज: विदेशी प्रतिभूतियों से ब्याज पिछले वर्ष के ₹653.28 बिलियन की तुलना में बढ़कर ₹970.07 बिलियन हो गई, जिसने आरबीआई की निवल आय में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

संशोधित आर्थिक पूंजी फ्रेमवर्क (ECF): मई 2025 में, आरबीआई के केंद्रीय बोर्ड ने संशोधित ECF को मंजूरी दी, जिसमें आकस्मिक जोखिम बफर (CRB) सीमा को 6% ± 1.5% तक समायोजित किया गया। 

  • वित्त वर्ष 2025 के लिए CRB को 7.5% पर निर्धारित किया गया, जिससे आरबीआई की वित्तीय लचीलापन बढ़ा तथा पर्याप्त अधिशेष हस्तांतरण की अनुमति मिली।   

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