अमेरिका द्वारा अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय पर प्रतिबंध

USA Imposed Sanctions on the International Criminal Court

संदर्भ: 

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) पर प्रतिबंध लगाने वाले एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए हैं।

अन्य संबंधित जानकारी:

  • कार्यकारी आदेश के अनुसार, अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) ने अमेरिका और उसके करीबी सहयोगी इजरायल को निशाना बनाकर अवैध और निराधार कार्रवाई की है।
  • अतीत में, ICC ने संयुक्त राज्य अमेरिका और इजरायल सहित उसके कुछ सहयोगी देशों के कार्मिकों के संबंध में अधिकार क्षेत्र का दावा किया है तथा प्रारंभिक जांच शुरू की है।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका और ICC के बारें में:
  • अमेरिका रोम संविधि का एक राज्य पक्ष नहीं है।
  • अमेरिका ने उन वार्ताओं में भाग लिया जिसके परिणामस्वरूप न्यायालय का गठन हुआ।
  • 1998 में अमेरिका उन सात देशों ( चीन, इराक, इजरायल, लीबिया, कतर और यमन के साथ) में से एक था, जिसने रोम संविधि के खिलाफ मतदान किया था।
  • अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने वर्ष 2000 में रोम संविधि पर हस्ताक्षर किये थे, लेकिन इसे अनुमोदन के लिए सीनेट के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया था।
  • 2002 में, राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू. बुश ने प्रभावी रूप से इस संधि पर हस्ताक्षर रद्द कर दिए तथा संयुक्त राष्ट्र महासचिव को एक प्रस्ताव भेजा कि अमेरिका अब इस संधि का अनुमोदन करने का इरादा नहीं रखता है तथा इसके प्रति उसका कोई दायित्व नहीं है।
  • अमेरिका ने आईz पर इजरायल के प्रधानमंत्री और पूर्व रक्षा मंत्री को निशाना बनाकर आधारहीन गिरफ्तारी वारंट जारी करके अपनी शक्ति का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया है।

अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC):

यह एक स्थायी अंतरराष्ट्रीय न्यायालय है, जिसकी स्थापना समग्र रूप से अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए चिंता का विषय बने सबसे गंभीर अपराधों (नरसंहार, युद्ध अपराध और मानवता के विरुद्ध अपराध) के आरोपी व्यक्तियों (18 वर्ष से अधिक, न कि समूह/राज्य) की जांच, मुकदमा चलाने और उन पर मुकदमा चलाने के लिए की गई है।

17 जुलाई 1998 को 120 राज्यों ने अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय की स्थापना के लिए “रोम संविधि” को अपनाया ।

रोम संविधि 60 देशों द्वारा अनुसमर्थन के बाद 1 जुलाई 2002 को लागू हुई ।

ICC को समग्र रूप से अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिए चिंता के सबसे गंभीर अपराधों पर क्षेत्राधिकार प्राप्त है, जैसे नरसंहार, मानवता के विरुद्ध अपराध और युद्ध अपराध, जो 1 जुलाई 2002 के बाद किए गए हों ।

न्यायालय ऐसे अंतर्राष्ट्रीय अपराधों पर क्षेत्राधिकार का प्रयोग तभी कर सकता है जब वे किसी राज्य पक्ष के भू-भाग पर या उसके किसी नागरिक द्वारा किए गए हों ।

वह केवल तभी जांच, वारंट,मुकदमा चला सकता है, जब संबंधित राज्य का राष्ट्रीय न्यायालय ऐसा न कर सके  या  ऐसा करने में असमर्थ हो।

  • उपरोक्त सिद्धांत को पूरकता के सिद्धांत के रूप में जाना जाता है , जिसके अंतर्गत राष्ट्रीय प्रणालियों को प्राथमिकता दी जाती है।

न्यायालय का मुख्यालय: हेग (नीदरलैंड )

न्यायालय को सदस्य राज्यों के योगदान तथा सरकारों, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों , व्यक्तियों, निगमों आदि के स्वैच्छिक योगदान से वित्त पोषित किया जाता है।

ICC न तो संयुक्त राष्ट्र का कार्यालय है और न ही एजेंसी, बल्कि दोनों ने 2004 में अपने संस्थागत संबंधों को नियंत्रित करने वाले एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।

रोम संविधि सुरक्षा परिषद को एक अद्वितीय क्षेत्राधिकारात्मक भूमिका प्रदान करती है।

  • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् उन मामलों को अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) को संदर्भित कर सकती है जब उसे मानवता के विरुद्ध अपराध, नरसंहार, युद्ध अपराध या आक्रामकता के अपराध का संदेह हो ।

भारत ने अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) की रोम संविधि (‘क़ानून’) पर न तो हस्ताक्षर किए हैं और न ही उसका अनुसमर्थन किया है।




Originally published at https://currentaffairs.khanglobalstudies.com/

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