लिम्फेटिक फाइलेरियासिस उन्मूलन के लिए वार्षिक राष्ट्रीय सार्वजनिक औषधि वितरण अभियान

 

Lymphatic Filariasis (LF) Elimination

संदर्भ: 

हाल ही में, केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने लिम्फेटिक फाइलेरियासिस (LF) उन्मूलन के लिए वार्षिक राष्ट्रीय सार्वजनिक औषधि वितरण (MDA) अभियान शुरू किया।

अन्य संबंधित जानकारी

इस अभियान में 13 राज्यों के 111 प्रभावित जिलों को शामिल किया जाएगा जिसमें घर-घर जाकर फाइलेरिया की रोकथाम के लिए दवाइयां दी जाएंगी।

  • 13 राज्य: आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, गुजरात, झारखंड, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल।

इस अभियान का संचालन स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण केंद्र (NCVBDC) द्वारा किया जाता है। 

अभियान के तहत, प्रभावित जिलों की 17.5 करोड़ से अधिक आबादी को मुफ्त में दवाइयां उपलब्ध कराई जाएंगी।

राष्ट्रीय सार्वजनिक औषधि वितरण (MDA) अभियान

सरकार ने लिम्फेटिक फाइलेरियासिस (ELF) का उन्मूलन करने के लिए वर्ष 2004 में देशव्यापी राष्ट्रीय सार्वजनिक औषधि वितरण (मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन-MDA ) अभियान शुरू किया था।

यह अभियान 13 राज्यों के 111 जिलों में साल में दो बार होता है।

मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) अभियान में LF-पीड़ित क्षेत्रों में सभी पात्र लोगों को एंटी-फाइलेरिया दवाएं उपलब्ध कराना शामिल है, भले ही उनमें लक्षण दिखाई दें या नहीं। दवा उपचार में शामिल हैं:

  • डबल ड्रग रेजिमेन (DA): डायइथाइलकार्बामेज़िन साइट्रेट (DEC) और एल्बेंडाज़ोल
  • ट्रिपल ड्रग रेजिमेन (IDA): आइवरमेक्टिन, डायथाइलकार्बामेज़िन साइट्रेट (DEC), और एल्बेंडाज़ोल

एमडीए का लक्ष्य संक्रमित लोगों के रक्तप्रवाह में मौजूद सूक्ष्म फाइलेरिया परजीवियों को नष्ट करके एलएफ के प्रसार को कम करना है, जिससे मच्छरों द्वारा आगे संक्रमण को रोका जा सके। जबकि एमडीए दवा अत्यंत सुरक्षित और प्रभावी है, इसे खाली पेट नहीं लिया जाना चाहिए। 

निम्नलिखित समूह के लोगों को दवाओं का सेवन नहीं करना चाहिए:

  • 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चे
  • गर्भवती महिलाएं
  • गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति

लसीका फाइलेरिया

इसे एलीफेंटियासिस/ हाथी पांव के नाम से भी जाना जाता है और यह एक उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग है।

यह फाइलेरियोडिडिया परिवार के नेमाटोड (गोल कृमि) नामक परजीवियों के कारण होता है ।

ये धागे जैसे फाइलेरिया कृमि तीन प्रकार के होते हैं:

  • वुचेरेरिया बैनक्रॉफ्टी , जो 90% मामलों के लिए जिम्मेदार है।
  • ब्रुगिया मलय , जो शेष अधिकांश मामलों का कारण बनता है।
  • ब्रुगिया टिमोरी नामक जीवाणु भी इस रोग का कारण बनता है।

यह विभिन्न प्रकार के मच्छरों द्वारा फैलता है जैसे क्यूलेक्स मच्छर (शहरी और अर्ध-शहरी क्षेत्र), एनोफिलीज (ग्रामीण क्षेत्र ), एडीज (प्रशांत महासागर में स्थानिक द्वीप) आदि।

यह रोग आमतौर पर बचपन में होता है और लसीका तंत्र को  क्षति पहुंचाता है तथा शरीर के अंगों में असामान्य वृद्धि, दर्द, गंभीर विकलांगता और सामाजिक कलंक का कारण बन सकता है ।

उपचार: प्रतिवर्ष दोहराए जाने वाले सुरक्षित औषधि संयोजनों के साथ निवारक कीमोथेरेपी के माध्यम से संक्रमण के प्रसार को रोककर इसे समाप्त किया जा सकता है।

लक्षण: अधिकांश संक्रमण लक्षणविहीन होते हैं, इनमें संक्रमण का कोई बाह्य लक्षण नहीं दिखता, जबकि ये परजीवी के संचरण में योगदान करते हैं।

लिम्फेटिक फाइलेरियासिस के मामलों में  भारत की स्थिति

भारत 2027 तक फाइलेरिया को उन्मूलित करने के लिए मिशन मोड पर है।

भारत ने 13 जनवरी 2023 को 2027 तक लिम्फेटिक फाइलेरियासिस के उन्मूलन के लिए एक उन्नत पांच-आयामी रणनीति शुरू की है और इनमें से एक महत्वपूर्ण रणनीति ‘मिशन मोड इंडिया MDA अभियान’ है। राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस (NDD) वर्ष में दो बार 10 फरवरी और 10 अगस्त को मनाया जाता है।

भारत ,विश्व में सबसे अधिक, लगभग 40%, लिम्फेटिक फाइलेरियासिस  का बोझ झेल रहा।

लिम्फेटिक फाइलेरियासिस से खतरे में पड़ी वैश्विक 657 मिलियन आबादी में से 404 मिलियन लोग भारत में रहते हैं।

2023 में, भारतीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा एक संशोधित पाँच-आयामी रणनीति की घोषणा की गई जिसमें शामिल थे

  • बहु-औषधि वितरण अभियान
  • शीघ्र निदान और उपचार
  • एकीकृत वेक्टर नियंत्रण
  • अंतर-क्षेत्रीय अभिसरण
  • लिम्फेटिक फाइलेरियासिस डायग्नोस्टिक्स में मौजूदा डिजिटल प्लेटफॉर्म और नवाचार का लाभ उठाना।



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