अंतर्राष्ट्रीय बिग कैट एलायंस

International Big Cat Alliance’ comes into force


संदर्भ:

हाल ही में, अंतर्राष्ट्रीय बिग कैट एलायंस (IBCA) की स्थापना पर रूपरेखा समझौता आधिकारिक तौर पर लागू हो गया है।

अन्य संबंधित जानकारी:

विदेश मंत्रालय (MEA) आईबीसीए के रूपरेखा समझौते का निक्षेपागार के रूप में कार्य कर रहा है।

भारत के साथ निम्नलिखित चार देशों ने रूपरेखा समझौते के अनुच्छेद VIII (1) के अंतर्गत अनुसमर्थन/स्वीकृति/अनुमोदन के दस्तावेज जमा कर दिए हैं।

  • निकारागुआ गणराज्य,
  • एस्वातिनी साम्राज्य,
  • सोमालिया संघीय गणराज्य, और
  • लाइबेरिया गणराज्य

अब तक भारत सहित 27 देशों ने IBCA में शामिल होने के लिए सहमति दे दी है और वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में काम करने वाले कई अंतरराष्ट्रीय/राष्ट्रीय संगठनों ने भी IBCA के साथ साझेदारी की है।

IBCA को 2023-24 से 2027-28 तक पांच वर्षों की अवधि के लिए 150 करोड़ रुपये का  बजट आवंटित किया गया है।

IBCA के बारे में:

  • इस गठबंधन की शुरुआत प्रधानमंत्री द्वारा अप्रैल 2023 में ‘प्रोजेक्ट टाइगर के 50 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में’ एक कार्यक्रम के दौरान की गई थी।
  • केंद्रीय मंत्रिमंडल ने फरवरी 2024 में आयोजित  बैठक में IBCA की स्थापना को मंजूरी दी।इसका मुख्यालय भारत में होगा। 
  • 23 जनवरी 2025 से , IBCA और इसका सचिवालय एक पूर्ण संधि-आधारित अंतर-सरकारी अंतर्राष्ट्रीय संगठन और अंतर्राष्ट्रीय कानूनी इकाई बन जाएगा।
  • बाघ, शेर, तेंदुआ, हिम तेंदुआ, चीता, जगुआर और प्यूमा के संरक्षण के उद्देश्य से शुरू किया गया था ।
  • संगठन की सदस्यता इन प्रजातियों को आश्रय देने वाले सभी संयुक्त राष्ट्र देशों तथा उन अन्य देशों के लिए खुली है, जहां ये प्रजातियां नहीं पाई जातीं तथा जो बड़ी बिल्लियों के संरक्षण में सहयोग करने में रुचि रखते हैं।
  • IBCA की स्थापना भारत सरकार द्वारा नोडल संगठन अर्थात राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) , पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ( MoEFCC ) के माध्यम से 12 मार्च 2024 के आदेश के तहत की गई थी।

IBCA के प्राथमिक उद्देश्य हैं: –

  • हितधारकों के बीच सहयोग और तालमेल को सुविधाजनक बनाना,
  • वैश्विक स्तर पर बड़ी बिल्लियों के संरक्षण के साझा लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सफल संरक्षण प्रथाओं और विशेषज्ञता को समेकित करना।
  • वित्तीय सहायता का उद्देश्य बड़ी बिल्लियों की आबादी में गिरावट को रोकना तथा वर्तमान प्रवृत्तियों में बदलाव लाना है।
  • तकनीकी जानकारी और निधियों के एक केंद्रीय सामान्य भंडार तक पहुंच प्रदान करता है। 
  • मौजूदा प्रजाति-विशिष्ट अंतर-सरकारी मंचों, नेटवर्कों और अंतरराष्ट्रीय पहलों को मजबूत करना।



Originally published at https://currentaffairs.khanglobalstudies.com/

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