‘राज्यों और राज्य सार्वजनिक विश्वविद्यालयों के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा का विस्तार’ रिपोर्ट

‘Expanding Quality Higher Education through States and State Public Universities’ report


संदर्भ: 

हाल ही में, नीति आयोग ने ‘राज्यों और राज्य सार्वजनिक विश्वविद्यालयों के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा का विस्तार’ शीर्षक से एक नीति रिपोर्ट जारी की है।

अन्य संबंधित जानकारी:

  • यह रिपोर्ट उच्च शिक्षा क्षेत्र में अपनी तरह का पहला नीतिगत दस्तावेज है, जो विशेष रूप से राज्यों और राज्य सार्वजनिक विश्वविद्यालयों (SPUs) पर केंद्रित है। 
  • यह पिछले दशक में विभिन्न विषयों पर गुणवत्ता, वित्तपोषण, प्रशासन और रोजगार के महत्वपूर्ण संकेतकों पर परिमाणात्मक विश्लेषण प्रदान करता है।

रिपोर्ट के मुख्य बिन्दु:

शिक्षा पर सर्वाधिक व्यय करने वाले राज्य (जीडीपी का प्रतिशत) :

  • जम्मू और कश्मीर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के प्रतिशत के रूप में शिक्षा पर सर्वाधिक व्यय करता है (8.11%)।
  • अन्य शीर्ष व्ययकर्ताओं में मणिपुर (7.25%), मेघालय (6.64%), और त्रिपुरा (6.19%) शामिल हैं।

कम व्यय वाले राज्य :

  • दिल्ली (1.67%), तेलंगाना (2%), और कर्नाटक (2.01%) उच्च शिक्षा के लिए कम आवंटन करते हैं।

उच्च शिक्षा के लिए राज्य बजट :

  • उच्च शिक्षा के लिए महाराष्ट्र का बजट सबसे बड़ा 11,421 करोड़ रुपये है, जिसके बाद बिहार (9,666 करोड़ रुपये) और तमिलनाडु (7,237 करोड़ रुपये) का स्थान है।
  • सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश और नागालैंड जैसे राज्यों का बजट सबसे छोटा है (₹200 करोड़ से कम)।

जीएसडीपी के प्रतिशत के रूप में ‘उच्च शिक्षा व्यय’ :

  • बिहार अपने जीएसडीपी का सबसे अधिक प्रतिशत (1.56%) उच्च शिक्षा पर खर्च करता है, उसके बाद जम्मू और कश्मीर (1.53%) और मणिपुर (1.45%) का स्थान आता है।
  • तेलंगाना सबसे कम 0.18% खर्च करता है, तथा गुजरात और राजस्थान 0.23% आबंटित करते हैं।

विश्वविद्यालय घनत्व :

  • राष्ट्रीय औसत विश्वविद्यालय घनत्व (प्रति 1 लाख पात्र छात्रों पर कॉलेजों या विश्वविद्यालयों की संख्या) 0.8 है।
  • सिक्किम में विश्वविद्यालय घनत्व सबसे अधिक (10.3) है, जबकि बिहार में सबसे कम (0.2) है।

महिला नामांकन :

  • केरल, छत्तीसगढ़ और हिमाचल प्रदेश में उच्च शिक्षा में नामांकन कराने वाली महिलाओं की संख्या पुरुषों की तुलना में अधिक है।
  • चंडीगढ़, मिजोरम और अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह जैसे छोटे राज्यों में पुरुष-महिला नामांकन लगभग बराबर है ।

प्रमुख चुनौतियाँ

  • अनुसंधान एवं विकास के लिए, विशेषकर राज्य सार्वजनिक विश्वविद्यालयों (SPUs) में, अपर्याप्त धनराशि उपलब्ध है।
  • भारत में शिक्षा आलोचनात्मक सोच और नवाचार कौशल विकसित करने के बजाय याद करने पर अधिक केंद्रित है।
  • वैश्विक अनुसंधान प्रकाशनों और पेटेंटों में भारत की रैंकिंग खराब है।
  • विश्वविद्यालयों का पाठ्यक्रम पुराना है और आधुनिक उद्योगों की आवश्यकताओं से मेल नहीं खाता है।
  • कई विश्वविद्यालयों में शिक्षण पद रिक्त हैं, जिनमें 40% से अधिक संकाय पद खाली हैं।
  • विश्वविद्यालयों में योग्य शिक्षकों की भर्ती में जटिल भर्ती नियमों के कारण देरी होती है।
  • कई SPUs में प्रयोगशालाओं, डिजिटल संसाधनों और पुस्तकालयों जैसी आवश्यक बुनियादी सुविधाओं का अभाव है।

मुख्य अनुशंसाए:

  • रिपोर्ट में SPUs के चार प्रमुख क्षेत्रों में सुधार के लिए लगभग 80 नीतिगत बदलावों का सुझाव दिया गया है: शिक्षा की गुणवत्ता, वित्त पोषण, प्रशासन और छात्रों की रोजगार क्षमता।
  • रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि केंद्र और राज्य सरकारों को शिक्षा पर अपना संयुक्त खर्च बढ़ाकर सकल घरेलू उत्पाद का 6% करना चाहिए , जैसा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 में सुझाया गया है।
  • इसमें सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों में अनुसंधान और विकास (R&D) में निवेश को बढ़ाकर सकल घरेलू उत्पाद का 2% करने का सुझाव दिया गया है, जैसा कि 2017-18 के आर्थिक सर्वेक्षण में सिफारिश की गई थी।
  • SPUs को 2-3 स्थानीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए समूह बनाने चाहिए तथा इन समस्याओं के समाधान के लिए उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने चाहिए।
  • राज्य विशेष रूप से SPUs को सहायता देने के लिए उच्च शिक्षा वित्तपोषण एजेंसी (HEFA) के समान एक वित्तीय एजेंसी स्थापित करने पर विचार कर सकते हैं।



Originally published at https://currentaffairs.khanglobalstudies.com/

Comments